तुम्हारी यादों का रंग कितना रंगीन है
मेरे यहाँ
बताओ न
मौसम बेरंग या रंगीन है
तुम्हारे वहां
होती बेसाख्ता बारिश है आँखों से जब भी
भीगी हथेलियाँ सूखने लगती हैं
तुम्हारे बिन
बताओ न
तुम्हारी हथेलियों में नमी है अब भी
जब बारिश में तुम्हारी खिड़की खुलती नहीं है
मेरे बिन
तुम्हारी बातों के संग बिना, कितना ग़मज़दा है
मेरा दिल
बताओ न
किसी छोटे से कोने में ज़रा सा भी संजीदा है
तुम्हारा दिल
~Rashmi~
जो हाल तेरा है...वही मेरा है...
ReplyDeleteमोहब्बत यूँ ही तो की जाती है.............
सुन्दर सुन्दर!!!
प्यार
अनु
शुक्रिया अनु दी...आप सही हैं...हाल जब एक जैसा हो तभी मोहब्बत करी जाती है...एक तरफ़ा सिर्फ प्रेम होता है...किया नहीं जाता
ReplyDeleteआपके कमेंट्स के लिए आभार ...
बहुत सुन्दर रचना हेतु मेरी बधाई - पंकज त्रिवेदी
ReplyDeleteshukriya Pankaj ji
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