Saturday 15 December 2012

मेरा इश्क ...



मेरा इश्क 

किसी इकरार का 
इंतज़ारमंद 
कोई मुसाफिर नहीं 
न आकांक्षा में लिखी 
कोई रचना 


मेरा इश्क़  

है मनचाहे उगने वाला 

इन्द्रधनुष


सोची समझी
ज़मीन सींचने वाली कोई नहर नहीं 
मनचाही राह बहने वाली
समुद्र में मिलने को आतुर
है ये नदी 


मेरा इश्क़

~Rashmi~

Tuesday 4 December 2012

उधार ज़िन्दगी ...


जान फूंकी थी इस दिल में
मुझे उबारा था
मेरे ही अंतर में कहीं से
अपना-मेरा वो हिस्सा
मुझे नज़र कर दो

न रही मेरी अपनी
तुम्हारा दिया उधार है
ये ज़िन्दगी

बस एक अहसान और कर दो
मांगती हूँ अपना-तुम्हारा  
बस एक दिन .. और एक रात
मेरे नाम कर दो

न कोई कागज़ ,वसीयत
 कोई रियासत
बस दिल का कोना

 मेरे जिस्म और रूह पर
अपनी मुहर कर दो
अपनी छूअन से मुझे अंगार कर दो
मेरे इस मन से, मुझे आजाद कर दो

 रखा तुम्हारे साथ
खर्च करने की आरज़ू में
बस एक दिन ..और एक रात
..........मेरे नाम कर दो

~Rashmi~



Visitors