Sunday 10 February 2019

वजूद...

बस एक बार 
दिल लगाने की चाहत है...

जी उठे थे तुम्हारे पहलू में
बस एक बार
तुम पर मरने की चाहत है

समां जाएँ तुम्हारे आगोश में
बस  एक बार
मुकम्मल जीने की चाहत है

वो प्यासे लब एक बूँद से काँपे थे
बस एक बार
तुम्हारा मन पीने की चाहत है

कुछ लड़खड़ायें, तुम्हारे सीने में छुप जाएँ
बस एक बार
अपना वजूद पाने की चाहत है

बस एक बार 
बाहों में तुम भर लो,और न कोई चाहत है ...

~Rashmi~

Wednesday 22 February 2017

....!

 वो समझदार था

कुछ जिया

 कुछ बचत में जमा कर लीं यादें 

बाकि उम्र के लिए

और मैंने !

सब खर्च दिया

 वो दिल, एहसास, हंसी

सब कुछ

मैं निरी नासमझ 

Wednesday 27 August 2014

नया मुकाम


तड़प .. उठती है
सांस अटकती है
दर्द उभर आता है
आँख भर जाती है
रह रह कर
छू जाता है
ज़ख्म…न न दिल !
बस
ये अब भी ज़िंदा है
 कुछ और जीना है
शायद
कोई मुकाम
और पाना है
कुछ और जीना है
शायद
खुद को ही पाना है.…

Wednesday 2 October 2013

बातों की बरसात,
भिगोए
प्यास बुझाए,

मोहब्बत में फ़ना,
 कौन हो जाये
जो हौसला,
दिल में रख पाए

दिमागी तराजू उमंगें तौले
ज़िन्दगी आसान बनाए

ज़िन्दगी जीने का जज्बा
पर,
दिल की राहों से आये

प्यास अनंत ...

मैं नदिया

बह बह, लाती मीठा पानी
तुम रहते खारे

वो बेदिल सूरज
जुदा करे तुमसे

मैं रो रो बरसूँ
बहूँ राह पुरानी

 लाऊँ मीठा पानी
तुम फिर भी रहते
खारे के खारे

बस
मैं रह जाती प्यासी
न बनो न तुम,
इतने खारे

~Rashmi~

Thursday 30 May 2013

खफा नींदें...


वो  देखते हैं
अब
बोलते नहीं
जानते हैं बातों से
नींदें खफा हो जाती हैं

पर  यूँ  भी  तो  है ...

देखते  हैं 
तो
चैन  रूठ  जाता  है
निगाहें  खता  हो  जाती  हैं

मुह  फेरें  तो  कैसे
नूर  नज़रों  से  है
जो  मुड़ते  हैं 
तो
अँधेरे  घने  छा जाते  हैं

चाँद  दीखता  नहीं 
तब
चांदनी  बरसती  नहीं
जानते  हैं
 तारे  गिने  बिन
नींद  आती  नहीं

...नींदें  फिर  खफा  हो  जाती  हैं

~Rashmi~

Monday 27 May 2013

एक शाम ...

उस एक शाम 
कुछ अजीब था  ...

मन खिला पर
आँख उदास
दिल मचला पर
होंठ थे चुप ,
चुपके से झांक रहे थे एहसास,


नज़र से नज़र की
खिड़की में
मैंने बुलाया उन्हें ,थाम के हाथ
मौन में
अनकहे ख्वाबों को सहलाया


संभाला चाँद के आँचल में
जो आँख से
कुछ तारे टपक पड़े
निकले हम तुम टांकने उन्हें
राह में राह तकते ऊंचे दरख्तों पे

आओ एक शाम ,
कुछ अजीब करें
उन दरख्तों के नीचे चलते,
ऊपर झिलमिलाते तारों को
चांदनी के दुपट्टे में टांकें

...आओ
एक शाम फिर कुछ अजीब करें









सितारा


 शाम के धुंधलके में

लाली फैलती है

दिल की गहराईओं से

चांदनी उतरती है



हर इक याद का तारा

ओट से निकलता है

आसमान में झिलमिलाता

 दुपट्टा लहराता है

~Rashmi                                                                   

Friday 1 February 2013

चिंगारी

कुछ लगी ...
आग ...
सचमुच थी कुछ लगी

यकीन मुझे अब हुआ
वो न सिर्फ 

तेरे दिल में ...
मेरे दिल में भी थी लगी


चिंगारी वो इश्क की
जब जुदाई में 

और बढ़ी,आग बनी
आँसू राख बने

यकीन मुझे तब हुआ 


कुछ लगी ...

आग ...
सचमुच थी कुछ लगी

~Rashmi~

Friday 25 January 2013

तारा

Ajay K Baveja_____photography
सुबह के बिस्तर पर 
लाली जब उभरती है
दिल की हर सलवट, 

करवट बदलती है
तेरी याद का सितारा 

कुछ और चमकता है
सूरज की रौशनी में 

अपना चाँद तलाशता है

~Rashmi~

Wednesday 23 January 2013

इत्तेफाकन

इत्तेफाकन 

तेरे शहर से गुज़ारना हुआ
सर्द हवाओं में 

गर्माहट का घुलना हुआ

सफ़र पर चले जा रहे थे

राह में तेरी आहट पा 
ठिठकना हुआ

तेरे बोलों की बानगी
दिल का आज फिर 

तड़प कर धड़कना हुआ

~Rashmi~

Saturday 19 January 2013

वक़्त से बड़ा बेवफा
कौन भला
जाते , मुड़  देखता भी नहीं

अलविदा की रस्म झूठी लगती
जाकर भी
हर दम  रहता साथ

लगता है यूँ
........ वक़्त तुम्हारी ही परछाई है ...


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