Sunday 10 February 2019

वजूद...

बस एक बार 
दिल लगाने की चाहत है...

जी उठे थे तुम्हारे पहलू में
बस एक बार
तुम पर मरने की चाहत है

समां जाएँ तुम्हारे आगोश में
बस  एक बार
मुकम्मल जीने की चाहत है

वो प्यासे लब एक बूँद से काँपे थे
बस एक बार
तुम्हारा मन पीने की चाहत है

कुछ लड़खड़ायें, तुम्हारे सीने में छुप जाएँ
बस एक बार
अपना वजूद पाने की चाहत है

बस एक बार 
बाहों में तुम भर लो,और न कोई चाहत है ...

~Rashmi~

8 comments:

  1. मैं हर सितारे से तेरे दर पता पूछूँगा
    सूनी राहों से तेरी जब भी सदा आयेगी
    वाह !!! कितनी आसानी से इतने नाज़ुक एहसासों को लिख डाला आपने.....बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित रचना !!

    @ संजय भास्कर

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    1. शुक्रिया ...बस सहज सरल लिख दिया

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  2. बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

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    1. शुक्रिया मदन मोहन जी

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  3. बहुत ही अच्छा लिखा आपने ।

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  4. शुक्रिया राजीवजी

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